Roman Hindi Gujarati bengali tamil telugu malayalam

Wednesday, March 30, 2011

रामवन के विकास में गुम हो गये हनुमान जी

जिले का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल रामवन अब पर्यटन स्थल बनने जा रहा है। यहां अब धार्मिकता कम दिखावा व सौर्दर्यीकरण ज्यादा हो चला है। सेवक के रूप में पहचाने जाने वाले राम भक्त हनुमान की विशाल प्रतिमा की वजह से कभी पहचाने जाने वाले हनुमान जी की आज रामवन विकास के बाद हालात यह हो गये हैं कि वे एक कोने में अकेले खड़े नजर आते हैं। यू तो यहां के स्वयं भू विकास पुरुष श्री कृष्ण माहेश्वरी जो चित्रकूट के नानाजी की तरह अपनी पहचान बनाने के लिये तमाम विकास गाथाएं कह रहे हैं लेकिन उनमें नानाजी के एक भी अंश नहीं हैं। दो पंचायतों की राशि का हक मारकर इनके पैसे से विकास कराकर अपनी वाहवाही बताने वाले कहीं भी पंचायत को इसका श्रेय नहीं देते। जबकि हकीकत यह है कि यह सब कुछ पंचायतों की दयानतदारी या कहें कि पंचायत जनप्रतिनिधियों की नासमझी है कि पंचायत के हिस्से की राशि को रामवन में खर्च किया गया। दूसरी ओर यहां मुख्यमंत्री आने वाले हैं इसके लिये बनी सड़कों पर मुरुम का छिड़काव कर इसे नई सड़क दिखाने का प्रयास किया जा रहा है। एक सवाल यह भी उठ रहा है कि रामवन विकास के लिये जो राशि दी गई है वह जनभागीदारी की है इसमें जनभागीदारी का हिस्सा अभी तक जमा नहीं हुआ और मूल निधि पूरी खर्च हो गई। दूसरी ओर मतहा रिछहरी के मूल ग्रामीण रामवन विकास को महज ढकोसला करार देते हुए कहते हैं कि यहां कुछ लोगों की ऐशगाह बन रही है जिसका यहां की जनता को कोई लाभ नहीं है। कुछ लोगों ने इसे अपने कब्जे में लेने का सफल प्रयास किया जो कामयाब होता दिख रहा है। यहां के अतिथि गृह जो आरामगाह साबित होगी उसकी छत से हनुमान जी का नजारा ले तो अपने आप स्पष्ट हो जायेगा कि हनुमान इस भीड़ में कहीं खो गये हैं।

हनुमान के दूसरी ओर सौदर्य का नजारा

















मानस संघ ट्रस्ट के काम में जुटा प्रशासनिक अमला
















बनी सड़क के उपर मुरुम का छिड़काव कर दिखाई जा रही नई सड़क















इस तरह से रामवन में खर्च हो गये करोड़ो लेकिन कोई कुछ न कहेगा क्योंकि इस विकास गाथा में शामिल है राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के श्री कृष्ण माहेश्वरी। लेकिन माननीय माहेश्वरी जी भूल गये कि वे नानाजी की तरह त्याग व समर्पण कहां से लायेंगे।