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Saturday, November 24, 2007

फर्जी मुठमेड़ में पुलिस ने बेकसूर को गोली मारी

दस्यु समस्या से प्रभावित सतना जिले के तराई क्षेत्र में नाकाम हो रही पुलिस ने अब डकैतों के नाम पर बेकसूरों को मुठभेड़ में मारने का काम शुरू कर दिया है. कुछ ऐसा ही वाकया २३ नवंबर को सतना पुलिस ने कर दिखाया. घर से पकड़ कर युवक को गोली मारने के बाद यह प्रचारित किया गया कि मुठभेड़ के दौरान युवक की मौत हुई है और यह युवक द्स्यु गिरोह का सदस्य है लेकिन मामला तूल पकड़ने पर बाद में अज्ञात पुलिस वालों पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया. अब सवाल यह उठता है कि यदि आउट ऑफ टर्न प्रमोशन की बात होती तो मुठभेड़ में शामिल सभी पुलिस कर्मियों के नाम मिल जाते लेकिन अब जब हत्या का मामला है तो पुलिस कर्मी अज्ञात हो गये.
पुलिस के लिये चुनौती बन चुके दस्यु सरगना गौरी यादव एवं मुन्नीलाल यादव गिरोह का बाल बांका नहीं कर पाये पुलिस वालों ने एक बेकसूर ग्रामीण का इनकाउंटर कर दिया. नयागांव थाना इलाके के उदयपुर गांव से सटे जंगल में पुलिस ने इस घटना को मुठभेड़ की आड़ में अंजाम दिया . वाहवाही लूटने के लिये बेकसूर गणेश साहू को मौत के घाट उतारने के इस सनसनीखेज मामले में मृतक के पिता द्वारा आरोप लगाए जाने के बाद तीन अज्ञात पुलिसकर्मियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया. बताया गया है कि नयागांव पुलिस को सुबह मुखबिर से यह सूचना मिली थी कि गौरी यादव व खड़ग सिंह दस्यु गिरोहउदयपुर गांव के पास डेरा डाले है. सूचना पर पुलिस ने घेराबंदी की लेकिन डकैत चकमा दे कर निकल गए. तब खिसियाए पुलिसवाले अपनी नाक ऊंची बनाए रखने के लिये खेत में काम कर रहे पालदेव गांव के युवक गणेश साहू का इनकाउंटर कर दिया और प्रचारित कर दिया गया कि एक दस्यु मुठभेड़ में ढेर हो गया. लेकिन आंखो के सामने हुए इस घटनाक्रम को उसके पिता ने जब बेखौफ होकर सबके सामने उजागर किया तो पुलिस वालों का भांडा फूटा और वह अब बचाव की मुद्रा में है. लेकिन उस निर्दोष गणेश जो अब इस दुनिया में नहीं उसके साथ क्या न्याय हो पाएगा?
मेरी आंखों के सामने गोली मारी : मृतक गणेश साहू के पिता बोदा साहू का कहना है कि तीन पुलिस वाले चितकबरी वर्दी में घर आए. पुत्र गणेश को पकड़ा . बिना किसी प्रकार की पूछताछ के उसके सीने में गोली डाल दी. जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई.

दोषी पुलिसकर्मी जेल भेजे जाएंगेःआईजी
आईजी अशोक सोनी ने कहा है कि मृतक सीधा साधा लड़का था. उसे किसकी गोली लगी यह नहीं मालूम. मृतक के पिता का कहना है कि उसके पुत्र को तीन पुलिस वालों ने गोली मारी है. यदि पुलिस वाले दोषी पाए गए तो उन्हे किसी भी कीमत में छोड़ा नहीं जाएगा. उन्हे सलाखों के पीछे भेजा जाएगा.

मृतक निर्दोष थाः एसपी
पुलिस अधीक्षक कमल सिंह राठौर ने कहा है कि घटना की मजिस्ट्रीयल जांच कराई जाएगी. मृतक के पास किसी प्रकार का हथियार नहीं होना यह सिद्ध करता है कि वह निर्दोष था. उसके खिलाफ कोई अपराध हमारे यहां दर्ज नहीं है. दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा.

प्रमोशन की साजिश?
तराई व दस्यु प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों की माने तो उनका कहना है यहां ऑउट ऑफ टर्न प्रमोशन का धंधा चल रहा है. फर्जी मुठभेड़ दिखा कर निर्दोषों को मारा जा रहा है. डकैत घूम रहे है. हमेशा मुठभेड़ के बाद बताया जाता है सैकड़ों राउण्ड फायरिंग हुई लेकिन क्यों कोई डकैत नहीं मरता गिनती की फायरिंग को निर्दोष धराशायी कर दिये जाते है. इनकी माने तो अब तक यहां जितने डकैत मरे हैं उनमें 75 फीसदी की मौत फर्जी मुठभेड़ में हुई है. वे या तो सरेडर कर रहे थे या फिर किसी और द्वारा मारे गए थे या आपसी गैंग वार में मरे थे जिसका श्रेय बाद में पुलिस ने लिया.

Tuesday, November 6, 2007

प्रोटोकॉल की ऐसी की तैसी

विगत दिवस मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का एक निजी कार्यक्रम में सतना आना हुआ. उनके आने के पहले ही कुछ भाजपा नेता अपने जिलाध्यक्ष के साथ स्वागत व अपने चेहरे दिखाने तो कुछ मीडिया में अपनी फोटो छपवाने के लिये हवाई पट्टी पहुंचे. चूंकि व्हीव्हीआईपी के आगमन का मामला था सो संभागायुक्त, आईजी सहित जिले के तमाम आला अधिकारी भी पहुंचे. सुरक्षा के मद्देनजर हवाई पट्टी में लोगों का प्रवेश वर्जित कर दिया गया. लेकिन कुछ भाजपा के नेताओं को यह नागवार गुजरा और उन्होंने वहां ऐसा नंगापन दिखाया कि सब को शर्म आ जाये. तमाम अधिकारियों को न केवल लताड़ा बल्कि अपशब्द भी कहे. गालियों की बौछार भी की. अब देखा जाय तो अधिकारियों का दोष इतना था कि उन्होंने सुरक्षा को प्राथमिकता दी. प्रश्न यहां यह उठता है कि इन भाजपाइयों को स्वागत का इतना ही शौक था तो उन्होंने सीएम का कार्यक्रम अपने कार्यालय में क्यों नहीं रखा? क्या पार्टी का मुख्यमंत्री हो जाने पर उन्हें प्रशासन व पुलिस को गाली देने व अपमानित करने का अधिकार मिल जाता है? यदि इस दौरान कोई हादसा हो जाता तो इसका जिम्मेदार कौन होता?
लेकिन धन्य है भाजपा के कार्यकर्ता व पदाधिकारी जिन्हे नियम कायदे का पालन करवाने वालों को गाली देने में मजा आता है.

Thursday, November 1, 2007

सरकारी गलती से ११ वर्षीय छात्रा के विरुद्ध वारंट

सरकारी कार्यशैली का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक ग्यारह वर्षीय मासूम बालिका बगैर अपराध के वारंटी बन गई और विभागीय अधिकारी अब कुछ बोलने को तैयार नहीं है.
यह मामला श्रम विभाग सतना के एक निरीक्षक की घोर लापरवाही का नतीजा है जिसके चलते एक ११ वर्षीय बालिका के विरुद्ध न केवल प्रकरण दर्ज कर दिया गया और उसके खिलाफ वारंट भी जारी कर दिया गया. नतीजतन बालिका की जमानत करानी पड़ी. सरकारी तौर पर ऑन रिकार्ड हुई गड़बड़ी के चलते बालिका इस कदर डरी सहमी है कि उसे हर पल पुलिस का खौफ है जिसका असर उसकी पढ़ाई पर भी पड़ रहा हैं.
मामले के अनुसार सतना के चौक बाजार में साहेब जी गिफ्ट सेंटर के संचालक जगदीश गिरधानी की ११ वर्षीय पुत्री सुरभि गिरधानी के विरुद्ध श्रम विभाग के एक निरीक्षक की रिपोर्ट पर दुकान-स्थापना अधिनियम १९५८ के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है. अनुविभागीय दण्डाधिकारी रघुराज नगर के न्यायालय से सुरभि के विरुद्ध जारी जमानती वारंट की तामीली कराने जब पुलिस गिरधानी की दुकान पर पहुंची तो गिरधानी परिवार के होश उड़ गए. वारंट के साथ पहुंची पुलिस सुरभि को गिरफ्तार करने पर अड़ी थी लेकिन श्री गिरधानी के आरजू मिन्नत करने पर पुलिस कर्मियों ने भी मामला एक मासूम छात्रा के होने के कारण सहृदयता दिखाई और ५ हजार के मुचलके पर छोड़ दिया. अब सुरभि को १५ नवंबर को एसडीएम न्यायालय में पेश होने का नोटिस दिया गया है.

जिम्मेदार कौन ?
सातवीं कक्षा में पढ़ने वाली इस ग्यारह वर्षीय नन्ही सुरभि को दुकान स्थापना अधिनियम के तहत आरोपी बनाने के पीछे श्रम विभाग के बहादुर निरीक्षक की क्या मंशा थी और उसके पास क्या आधार था यह तो वे ही जाने लेकिन सुरभि की मनोदशा के लिये के लिये आखिर कौन जिम्मेदार है. यदि देखा जाय तो श्री गिरधानी के मुताबिक दुकान का पंजीयन उनकी पत्नी श्रीमती वर्षा गिरधानी के नाम है. ऐसे में दुकान स्थापना अधिनियम को लेकर कोई मामला बनता भी था तो वह श्रीमती खिलवानी के नाम पर बनता न कि उनके खानदान पर. लेकिन श्रम विभाग के निरीक्षक ने तो लड़की के ही खिलाफ मामला दर्ज कर डाला. यदि यह लापरवाही है तो फिर इस लापरवाही की सजा कौन भुगतेगा.
सुरभि की मनोदशा पर असर
दुकान-दुकान अवैध वसूली करते घूमते श्रम विभाग के इन निरीक्षक की करतूत के चलते इस मासूम के खिलाफ वारंट तो जारी हुआ ही उसकी मनोदशा पर भी काफी प्रभाव पड़ा है. जिस दिन से पुलिस उसे पकड़ने उसे उसके घर आयी है उस दिन से वह डरी सहमी रहने लगी है. अक्सर वह गुमसुम रहती है तथा उसने अब बाहर खेलना कूदना भी बंद कर दिया है. पढ़ाई में अव्वल रहने वाली सुरभि का मन अब पढ़ाई में भी नहीं लगता है. उसे हर पल अब पुलिस का भय सताता रहता है और अब तो वह यह भी कहने लगी है कि अंकल पुलिस वाले फिल्मों की तरह ही मारते हैं क्या? पापा मैं थाने नहीं जाउंगी.


निरीक्षक के खिलाफ होगी कार्रवाई
उधर मासूम छात्रा के खिलाफ वारंट जारी होने के मामले में एसडीएम रघुराजनगर आर.के.चौधरी कहते हैं कि वारंट जारी करने के मामले में कोई त्रुटि हुई है तो अभियोग पत्र पेश करने वाले निरीक्षक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. अभियोग पत्र में कहीं उम्र का जिक्र नहीं है. यदि उम्र दर्शायी गई होती तो वारंट जारी नहीं होता. इस मामले का परीक्षण कर त्वरित और उचित कार्रवाई की जाएगी. सुरभि के साथ न्याय होगा.