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Tuesday, November 6, 2007

प्रोटोकॉल की ऐसी की तैसी

विगत दिवस मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का एक निजी कार्यक्रम में सतना आना हुआ. उनके आने के पहले ही कुछ भाजपा नेता अपने जिलाध्यक्ष के साथ स्वागत व अपने चेहरे दिखाने तो कुछ मीडिया में अपनी फोटो छपवाने के लिये हवाई पट्टी पहुंचे. चूंकि व्हीव्हीआईपी के आगमन का मामला था सो संभागायुक्त, आईजी सहित जिले के तमाम आला अधिकारी भी पहुंचे. सुरक्षा के मद्देनजर हवाई पट्टी में लोगों का प्रवेश वर्जित कर दिया गया. लेकिन कुछ भाजपा के नेताओं को यह नागवार गुजरा और उन्होंने वहां ऐसा नंगापन दिखाया कि सब को शर्म आ जाये. तमाम अधिकारियों को न केवल लताड़ा बल्कि अपशब्द भी कहे. गालियों की बौछार भी की. अब देखा जाय तो अधिकारियों का दोष इतना था कि उन्होंने सुरक्षा को प्राथमिकता दी. प्रश्न यहां यह उठता है कि इन भाजपाइयों को स्वागत का इतना ही शौक था तो उन्होंने सीएम का कार्यक्रम अपने कार्यालय में क्यों नहीं रखा? क्या पार्टी का मुख्यमंत्री हो जाने पर उन्हें प्रशासन व पुलिस को गाली देने व अपमानित करने का अधिकार मिल जाता है? यदि इस दौरान कोई हादसा हो जाता तो इसका जिम्मेदार कौन होता?
लेकिन धन्य है भाजपा के कार्यकर्ता व पदाधिकारी जिन्हे नियम कायदे का पालन करवाने वालों को गाली देने में मजा आता है.

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