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Friday, September 30, 2011

अकबर, रीवा और जोधाबाई

यह सभी जानते हैं कि महान मुगल शासक अकबर अनपढ़ था लेकिन कम ही लोग जानते होंगे कि अकबर का बचपन मध्यप्रदेश के रीवा जिले के मुकुन्दपुर नामक स्थान में गुजरा था। हालांकि लोग कहते हैं कि अकबर द्वितीय का बचपन यहां गुजरा था लेकिन चल रहे नये शोध से यह सामने आ रहा है कि अकबर द्वितीय नहीं मुकुन्दपुर में जलालुद्दीन अकबर का ही बचपन बीता था। यहां उसे सुरक्षा की दृष्टि से छिपा कर रखा गया था इसलिये उसकी पढ़ाई लिखाई नहीं हो पाई थी। इस दौरान तब के राजकुमार रामसिंह भी उनके साथ कभी-कभी अपना समय व्यतीत करते थे। रीवा राज्य के शासक महाराजा रामचन्द्र जी हुआ करते थे।
नीचे देखे विकीपीडिया के कुछ अंश
हुमायुं को पश्तून नेता शेरशाह सूरी के कारण फारस में अज्ञातवास बिताना पड़ रहा था। [22] किन्तु अकबर को वह अपने संग नहीं ले गया वरन रीवां(वर्तमान मध्य प्रदेश) के राज्य के एक ग्राम मुकुंदपुर में छोड़ दिया था। अकबर की वहां के राजकुमार राम सिंह प्रथम से, जो आगे चलकर रीवां का राजा बना, के संग गहरी मित्रता हो गयी थी। ये एक साथ ही पले और बढ़े और आजीवन मित्र रहे। कालांतर में अकबर सफ़ावी साम्राज्य (वर्तमान अफ़गानिस्तान का भाग) में अपने एक चाचा मिर्ज़ा अस्कारी के यहां रहने लगा
Humayun had been driven into exile in Persia by the Pashtun leader Sher Shah Suri. Akbar did not go to Persia with his parents but grew up in the village of Mukundpur in Rewa(see link:- http://emperors-shirshak.blogspot.com/2011/02/akbar-great.html)

यह लिंक भी देखे- http://indicaspecies.blogspot.com/2008/02/akbar-and-cultural-synthesis.html


अकबर का हिन्दुओं व हिन्दु धर्म के प्रति झुकाव की भी यही वजह रही कि उसका बचपन का लालन पालन मूल रूप से हिन्दुओं के बीच ही हुआ और उसे इनके बीच ही बचपना गुजारना पड़ा।
अब बात आती है अकबर को जोधाबाई कैसे पसंद आई। हालांकि इस पर शोध चल रहा है लेकिन जो बात प्रारंभिक तौर पर सामने आ रही है उसके अनुसार अकबर यहां भी जंगली क्षेत्र (तत्कालीन) मुकुन्दपुर में ही नहीं रहा बल्कि रीवा राजघराने के सदस्यों के साथ उसका आना जाना होता था। तभी कभी वह किसी आयोजन में राजस्थान राजघराने में गया होगा और तब उसे जोधाबाई मिली थी वहीं यादे बाद में अकबर के जिंदगी का फैसला बनी(हालांकि अभी यह प्रमाणिक नहीं है) लेकिन इतिहास शोधार्थी इस पर शोध कर रहे हैं।

रीवा राजघराने को कटार की पात्रता
शोध कह रहे हैं अकबर के दरबार में किसी को भी कटार ले जाने की अनुमति नहीं थी लेकिन रीवा राज घराने में गुजरे बचपन की वजह से रीवा राजघराने को अकबर के दरबार में कटार की अनुमति थी।(शोध जारी है)


इसे विस्तार करने मैटर आमंत्रित हैं- कमेंट में दें

Thursday, September 29, 2011

सिद्धपीठ मैहर देवी शारदा शक्तिपीठ | Siddha Peeth Maihar Devi (Maa Sharda Shakti Peeth)


Siddha Peeth Maihar
उतर-प्रदेश में जितना महत्व मां विध्यावसिनी का है. उतना ही मध्य प्रदेश में मां मैहर देवी का है. आधाशक्ति मां दुर्गा के विभिन्न रुपों में मां शारदा भी है. बोलचाल की भाषा में इन्हें मइहर देवी के नाम से जाना जाता है. जबकि मइहर या मैहर उस स्थान का नाम है. जहां मां शारदा का धाम है. विद्वज्जन कहते है कि यहां सती के दाहिने स्तन का पतन हुआ था. यहां की शक्ति शिवानी और भैरव  को यहां चण्ड कहा जाता है. कुछ विद्वान कहते है, इ सती के दाहिने स्तन का निपात रामगिरि में हुआ था. रामगिरि स्थान चित्रकूट में है. 
मध्यप्रदेश के सतना से 38 किलोमीटर दूर मैहर है. जो एक छोटा सा कस्बा है, किन्तु मां की ख्याती ने इसे पूरे देश में प्रसिद्ध कर दिया है. मां शारदा का धाम मैहर से लगभग 5 किलोमीटर दूर स्थित है. 

पर्वतमालाओं की गोलाकार पहाडी के मध्य 587 फुट की ऊंचाई पर स्थित मां शारदा का एतिहासिक मंदिर 108 शक्तिपीठों में से एक है. यह पीठ सतयुग के प्रमुख अवतार नृ्सिंह के नाम पर नरसिंह पीठ के नाम से भी जाना जाता है. यहां की शक्तिपीठ में लगभग 1500 वर्ष पुरानी नरसिंह की प्रतिमा आज भी विराजती है. 

मां का यह मंदिर कितना पुराना है, इसका कोई सही प्रमाण उपलब्ध नहीं है. परन्तु इस मंदिर में प्रतिमा की स्थापना 502 में नुपुलदेव के करायी थी. ऎसा उल्लेख मंदिर में 10वीं शताब्दी के दो शिलालेखों में है, तो मंदिर के निर्माण की गाथा के आधार स्तंभ है. प्रवेश द्वार से मंदिर तक पहुंचने के लिये छोटी-छोटी लगभग 1000 सीढियां चढनी पडती है. जिनपर टीन के शैड लगे हे. ताकि यात्रियों को धूप-बारिश न लगें. पहाड को गोलाई में काट कर सडक भी बनाई गयी है. जो मंदिर के ठीक नीचे तक जाती है, फिर इसके बाद लगभग 200 सीढियां चढनी होती है. अशक्तों व वृ्द्धों को पहुंचाने के लिये डोली की भी व्यवस्था हे. 
किवदंती के अनुसार राजा परमाल तथा पृ्थ्वीराज चौहान के युद्ध में राजा परमाल की पराजय से क्रुद्ध होकर आल्हा ने पृ्थ्वीराज की सेना समूल नष्ट करने हेतू तलवार खींच ली थी. पर उसकी आराध्या शारदा ने उसका हाथ पकड लिया. जंगल में आल्हा तथा ऊदल अखाडा है. यहां एक ताल भी है. ताल का पानी कभी नहीं घटता है. किवंदती है कि आज भी प्रतिदिन आल्हा मां शारदा को पुष्पांजलि देने आते है.  
यह भी कहा जाता है कि आल्हा-ऊदल तथा धानू आदि भक्तों ने युद्ध में विजय की कामना से इस पहाडी पर शारदा देवी की प्रतिमा स्थापित की तथा देवी को प्रसन्न करने एक लिये आल्हा ने अपने पुत्र इन्दल की बलि  भी दी थी. तथा आज भी आल्हा -ऊदल मंदिर बन्द होने के बाद मंदिर में माता का दर्शन करने के लिये आते है. 
प्रतिवर्ष दोनों नवरात्रों में देश के कोने-कोने से भक्त यहां आते है.

Tuesday, September 27, 2011

सतना जिले में लाखों का चावल घोटाला

 जिले में मध्यान्ह भोजन के नाम पर लीड समितियों द्वारा लाखों का चावल घोटाला किया जा रहा है। इसके तहत मध्यान्ह भोजन के लिये आने वाले ए ग्रेड के चावल को बीपीएल के मोटे चावल से बदल कर कोटे दारों को दिया जा रहा है और यहां से यही घटिया मोटा चावल स्व सहायता समूहों के माध्यम से स्कूलों के बच्चों को खाने के लिये मिलता है। मजे की बात है कि इसके लिये जिला प्रशासन के पास निगरानी का पर्याप्त अमला है लेकिन वह भी अनदेखी कर रहा है। हालात तो यह है कि जिले के कई वरिष्ठ अधिकारी भी इस बात से अनभिज्ञ है कि एमडीएम और बीपीएल का चावल अलग-अलग क्वालिटी का होता है। इस मामले का खुलासा मनकहरी लीड समिति द्वारा दर्जन भर राशन दुकानों में एमडीएम और बीपीएल के लिये एक ही सप्लाई से हुआ है।
क्या है मामला
मध्यान्ह भोजन का चावल नि:शुल्क केन्द्र सरकार द्वारा दिया जाता है यह ए ग्रेड का चावल होता है जबकि बीपीएल का चावल नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा स्थानीय स्तर पर खरीदी गई धान की मिलिंग के बाद दिया जाता है यह मोटा होता है। मनकहरी लीड समिति द्वारा कृष्णग़, जमुनिया, खटखरी, कोनिया कोठार सहित दर्जन भर राशन दुकानों में एमडीएम और बीपीएल का चावल एक ही प्रकार का बांटा गया है। यह चावल बीपीएल कोटे का मोटा चावल है। जबकि नान से एमडीएम के लिये अलग चावल भेजा गया था और बीपीएल के लिये अलग चावल भेजा गया था। कोटेदारों की माने तो समिति प्रभारी द्वारा यह कोई नई घटना नहीं है बल्कि ऐसा सालों से चल रहा है। इसकी शिकायत भी की गई है लेकिन न तो कोई जांच हुई न ही कार्यवाही।
कहां गया चावल
इस मामले में कोनिया कोठार के कोटेदार महेश सिंह जो कि जमुनिया और खटखरी की राशन दुकाने भी देखते हैं से बात की गई तो इन्होंने स्वीकार किया कि इस बार लीड समिति ने 27 अगस्त के आसपास सप्लाई की है और इनके द्वारा एमडीएम और बीपीएल के लिये एक ही चावल भेजा गया है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि यह कोई पहली घटना नहीं है बल्कि ऐसा कई सालों से हो रहा है। उन्होंने बताया कि जो चावल उनके यहां आया है वह बीपीएल कोटे का मोटा चावल है जबकि एमडीएम का ए ग्रेड का चावल काफी बेहतर व पतला होता है वह नहीं दिया गया। उधर नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों की माने तो लीड समिति के लिये जुलाई में डिलेवरी आर्डर दिया गया था और 2 और तीन अगस्त को माध्यमिक और प्राथमिक विधालयों के मध्यान्ह भोजन के लिये आपूर्ति की गई थी। यहां सवाल यह खड़ा हो रहा है कि जब तीन अगस्त को एमडीएम का नान गोदाम से उठाव हुआ तो फिर 27 अगस्त तक यह चावल कहां रहा और फिर कोटे में यह चावल न पहुंच कर घटिया मोटा बीपीएल चावल कैसे पहुंचा।
ये कहते हैं दस्तावेज
नान के दस्तावेजों की माने तो लीड समिति के लिये माध्यमिक विद्यालय के एमडीएम का डिलेवरी आर्डर क्रमांक 14145 जारी किया गया जो 29 जुलाई को जारी हुआ तथा 2 व 3 अगस्त को ट्रक क्रमांक 3631 से 331 बोरी, ट्रक क्रमांक 6326 से 281 बोरी तथा ट्रक क्रमांक 3169 से 106 बोरी का उठाव किया गया। इसी तरह प्राथमिक विद्यालय के लिये डिलेवरी आर्डर क्रमांक 14146 के तहत 3 अगस्त को 273 किवंटल चावल का उठाव किया गया। जबकि कोटों में यह चावल पहुंचा ही नहीं और 27 अगस्त को जो चावल कोटों में पहुंचा वह एमडीएम का ए ग्रेड का न होकर बीपीएल का चावल रहा।
क्या है खेल
लीड समिति और संबंधित कई विभागों द्वारा इसमें लाखों का खेल किया जाता है। इस मामले में आरटीआई एकिटविस्ट उदयभान चतुर्वेदी बताते हैं कि लीड समिति द्वारा नान के गोदाम से एमडीएम का बढ़िया चावल तो उठा लिया जाता है लेकिन इसे कोटे में न देकर बाजार में बेच लिया जाता है वहीं राइस मिलों से मिलीभगत करके वहां से बीपीएल कोटे का मोटा चावल लेकर एमडीएम के लिये सप्लाई कर लिया जाता है। एमडीएम और बीपीएल चावल की कीमतों का जो लाखों का अन्तर होता है उसे लीड समितियां और संबंधित विभागों के लोग आपस में खुर्दबुर्द कर लेते हैं। मजे की बात तो यह है कि लीड समिति मनकहरी द्वारा विगत माहों में गेहूं में 50 फीसदी रेत मिलाने का मामला भी सामने आया था जिसकी जांच अभी भी लंबित हैं और आरोपी पकड़ से बाहर हैं।
क्या कहते हैं राशन विक्रेता
हमें लीड समिति ने एमडीएम और बीपीएल का एक ही चावल भेजा है। ऐसा पहली बार नहीं है बल्कि कई सालों से हो रहा है। इसमें हमारा कोई दोष नहीं है बलिक समिति जो चावल पहुंचाती है वहीं हम देते हैं। प्रशासन चाहे तो इसकी जांच कर ले हमारे यहां ऐसा ही चावल आया है।
महेश सिंह, कोटेदार कोनिया कोठार

नागरिक आपूर्ति निगम का कथन
एमडीएम का चावल केन्द्र सरकार द्वारा नि:शुल्क सप्लाई किया जाता है। यह ए ग्रेड का चावल होता है जो एफसीआई के थ्रू ट्रांजिक्शन किया जाता है। यह पंजाब, उत्तरप्रदेश और छत्तीसग़ से आता है तथा पतला और बेहतर श्रेणी का होता है। जबकि बीपीएल के लिये जिस चावल की सप्लाई होती है वह प्रदेश की धान होती है जो खरीदी जाती है फिर इसे मिलिंग के लिये भेजा जाता है वहां से जो चावल आता है उसे बीपीएल व एएवाई को दिया जाता है। यह अपेक्षाकृत मोटा और एमडीएम से कम क्वालिटी का होता है।
दिनेश मिश्रा, अधिकारी नान
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यह गंभीर मामला है। इसकी जांच कराई जायेगी और जो भी इसके दोषी पाये जायेंगे उन्हें दण्ड दिया जायेगा।
सुखबीर सिंह, कलेक्टर
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Wednesday, September 14, 2011

बाणसागर का बनेगा नया 'बाढ़ प्लान'

निर्माण के बाद पहली बार उफान पर आये बाणसागर डैम के जलाशय का पानी धीरे-धीरे नीचे उतरना शुरू हो गया है। इस समय बांध में 341.55 मीटर तक का जल भराव बना हुआ है। बाणसागर का जल स्तर मेन्टेन करने के लिये अभी भी 6 गेट खोले गये हैं। लेकिन इस बार उफनाए बाणसागर डैम का अनुभव मिलने के बाद बाणसागर प्रबंधन नये सिरे से डैम का ‘बाढ़ प्लान’ बनायेगा। हालांकि इस प्लान के नये अध्ययन की मुख्य वजह मंगठार का रिजरवायर और जोहिला का ओपीएम रिजरवायर से अचानक आने वाला पानी बताया जा रहा है जो बाणसागर डैम प्रबंधन के लिये आपात स्थितियों का सबब बन गया था। अब तक उफनाये डैम से 13000 लाख क्युबिक मीटर पानी छोड़ा जा चुका है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार इस वर्ष हुई झमाझम बारिश से बाणसागर का डैम अपने अधिकतम जल भराव क्षमता से भी उपर पहुंच गया और पहली बार बाणसागर डैम के गेट खोलने पड़े। हालांकि इस घटना के लिये तो बाणसागर प्रबंधन तैयार था लेकिन रविवार रात से सोमवार सुबह तक की घटना ने बाणसागर प्रबंधन की पेशानी पर बल डाल दिये हैं। मिली जानकारी के अनुसार रविवार की रात में बाणसागर डैम के गेट क्लोजिंग पोजीशन में रखे गये थे तथा इस दौरान 9 घंटे में पानी का जलाशय में उठाव 4 सेमी चल रहा था लेकिन जब सोमवार की सुबह 8 बजे डैम का लेबल देखा गया तो यह काफी तेज गति से उपर आ रहा था। इसके मद्देनजर आनन फानन में बाणसागर प्रबंधन ने डैम के उपर की नदियों और बारिश का पता लगाया तो पता चला कि सभी नदिया सामान्य स्तर पर हैं और कहीं से भी बारिश की सूचना नहीं है।
इससे परेशान प्रबंधन ने जब वृहद समीक्षा की तो पता चला कि बिरसिंहपुर पाली में मंगठार का रिजरवायर और शहडोल के समीप ओपीएम के रिजरवायर जो गेटेड डैम है से पानी छोड़ा गया था और यही पानी आगे आकर बाणसागर डैम में मिल गया और अचानक जल स्तर में बढ़ोत्तरी हो गई। बताया जा रहा है कि बाणसागर के बाढ़ प्लान में अभी ये दोनो रिजरवायर शामिल नहीं रहे हैं। इस घटना से बाणसागर प्रबंधन ने नये सिरे से बाढ़ प्लान की समीक्षा करने की तैयारी कर रहा है। इसके तहत डैम के ऊपर पडऩे वाले सभी गेटेड डैमों का आंकलन कर नया बाढ़ प्लान तैयार किया जायेगा। इसकी पुष्टि बाणसागर डैम के अधीक्षण यंत्री डॉ. एनपी मिश्रा ने भी की है।
शुरू होगा ऑपरेशन डॉग्ड
अधीक्षण यंत्री डॉ. मिश्रा ने बताया कि अब उनकी मुख्य चिंता बाणसागर का लेबल स्थाई बनाये रखना है। अब प्रबंधन इस बात पर ध्यान दे रहा है कि बारिश अब ज्यादा नहीं होगी और यदि ज्यादा पानी छोड़ दिया गया तो कहीं डैम खाली न रह जाये। इसके लिये बाणसागर डैम का पानी 341.50 मीटर से नीचे न जाये इसके लिये सोमवार की रात 10 बजे समीक्षा करने के बाद आपरेशन डॉग्ड प्रारंभ किया जायेगा। इसके तहत डैम के गेट को पूरी तरह तो बंद नहीं करेंगे लेकिन गेट को इस कंडीशन में लाया जायेगा कि इससे न्युनतम आवश्यक पानी ही जलाशय से बाहर निकले और डैम का स्तर बना रहे।
बाणसागर का बिहार में ताण्डव
बताया जा रहा है कि विगत दिवस जिस गति से बाणसागर डैम से पानी सोन नदी में छोड़ा गया है उसका असर बिहार के  कई क्षेत्रों में बाढ़ के रूप में नजर आया है। बताया गया है कि सोन नदी में आगे भी डैम बने हैं लेकिन बाणसागर से भारी मात्रा में छोड़े गये पानी से उफनाई सोन नदीं ने इन निचले डैमों का जल स्तर काफी बढ़ा दिया है। इस वजह से यहां से भी पानी छोडऩे की स्थिति बन गई और बिहार के पटना सहित कई क्षेत्रों में बाढ़ के हालात बन गये। उफनाई सोन की वजह से एक दशक बाद सीधी का पुल ओव्हरफ्लो हुआ है।

Friday, September 9, 2011

जादुई आंकड़े पर बाणसागर का जलस्तर, 14 गेट खुले

5800 क्युबिक मीटर पानी प्रति सेकण्ड छोड़ा जा रहा
अरे ये क्या...., अद्भुत..., आश्चर्यजनक.... कुछ एेसे ही शब्द गुरुवार को बाणसागर डैम के दूसरे ओर खड़े लोगों के मुंह से निकल रहे थे। हर कोई दिख रहे नजारों को हमेशा के लिये अपनी आंखों में कैद कर लेना चाहता था। काफी उंचाई से तेज गर्जना के साथ गिर रहा पानी का विपुल प्रवाह न केवल जलतरंग के माध्यम से नजरों को ठहरने नहीं दे रहा था तो उंचाई से गिर रहे पानी से उठने वाला धुंआ एक अलग ही अनुभूति पैदा कर रहा था।


 यह सबकुछ बाणसागर बांध के इतिहास में पहली बार हुआ। यह पहला अवसर है जब बांध में पानी का जल स्तर अपने अधिकतम भराव 341.64 से भी ऊपर पहुंच गया और बाणसागर प्रबंधन को डैम के जलाशय से भारी मात्रा में पानी छोडऩा पड़ा।














7 अगस्त 2011 की देर रात 2 बजे का समय विन्ध्यवासियों के लिये एक यादगार तारीख बन गया। जब तमाम आशंकाओं और मिथकों को दरकिनार करते हुए बाणसागर डैम में पहली बार गेट खोले गये। जादुई आंकड़े के रूप में पहचाने जाने वाले इस डैम का अधिकतम जल भराव स्तर 341.64 से जैसे ही पानी ऊपर पहुंचा वैसे ही बाणसागर प्रबंधन डैम की सुरक्षा के मद्देनजर पानी छोडऩे की प्रक्रिया प्रारंभ कर दिया। जब सबसे पहले इस डैम का गेट क्रमांक 9 पहली बार खोला गया मानों डैम के दूसरी ओर नदी में भूचाल सा आ गया। रात के घने अंधेरे में पानी की अथाह राशि एक भयानक शोर के साथ नदी में बहनी शुरू हो चुकी थी। लेकिन इस दौरान तक बाणसागर डैम का जल स्तर 341.80 मीटर तक पहुंच चुका था। अब यह स्थिति बेहद खतरनाक थी। फिर तो बाणसागर प्रबंधन लगातार गेट खोलता गया और भारी जल राशि सोन नदी में समाने लगी और थोड़ी देर में ही सूखी हुई सी नदी पूरे यौवन के साथ बहने लगी और यह जल प्रवाह 8 अगस्त की सुबह जिसने भी देखा वह वहीं रुकता चला गया। फिर तो यह खबर जंगल की आग की तरह फैलती गई और हर कोई इस नजारे को देखने के लिये यहां पहुंचने लगा।

आवक से ज्यादा छोड़ रहे पानी
बाणसागर परियोजना पक्का बांध मंडल के अधीक्षण यंत्री डॉ. एन.पी. मिश्रा ने डैम के कंट्रोल टावर में ही डेरा डाल लिया है। उन्होंने बताया कि जलस्तर तीजे से बढऩे के कारण बांध प्रशासन ने गुरुवार की रात दो बजे पहला गेट खोला। शुरुवात गेट क्रमांक 9 से हुई इसके बाद क्रमश: गेट क्रमांक 7 और ग्यारह खोले गये। डॉ. मिश्रा ने बताया कि शुरुआत में गेट धीरे-धीरे 50 सेन्टी मीटर उंचाई तक खोले गये बाद में गेटों को अधिकतम् ढाई मीटर तक खोल दिया गया है। उधर देर शाम तक बांध के 14 गेट खोले जा चुके हैं। बांध का जलस्तर 341.80 मीटर पहुंचने के कारण बतौर सावधानी 5800 क्यूमेक्स पानी प्रतिसेकंड छोड़ा जा रहा है।

ये रही वजह 
डैम के ईई शरद श्रीवास्तव ने बताया कि गुरुवार की रात 11 बजे तक यहां 3500 क्युमैक्स पानी ही पहुंच रहा था लेकिन दो बजे तक यहां 7 से 8 हजार क्यूबिक मीटर पानी प्रति सेकेण्ड पहुंचने लगा और डैम का जल स्तर अधिकतम बिन्दु के उपर पहुंच गया। एेसे में आनन-फानन में डैम के गेट खोलने पड़े। श्री श्रीवास्तव ने बताया कि शुक्रवार की रात 7 बजे तक पानी का जल स्तर 341.70 सेमी तक उतर चुका था। उन्होंने बताया कि बांध में अभी 5200 क्युमैक्स पानी पहुंच रहा है लेकिन जलस्तर मेन्टेन करने के लिये अभी ज्यादा पानी 5800 क्युमैक्स प्रति सेकेण्ड छोड़ा जा रहा है। श्री श्रीवास्तव ने बताया कि जब जल स्तर 341.64 तक पहुंच जायेगा तब डैम में जितनी आवक होगी उतना ही पानी छोड़ा जायेगा।
24 घंटे हाइअलर्ट 
बाणसागर कंट्रोल रूम में एक व्यक्ति लगातार वायलैस पर ही ध्यान लगाये हुए है और पल-पल डैम और इसके उपर बने निगरानी केन्द्रों की जानकारी ले रहा है। इसके अलावा डैम के सभी वरिष्ठ अधिकारी इस समय यहीं मौजूद हैं। खुद अधीक्षण यंत्री एनपी मिश्रा, डैम ईई शरद श्रीवास्तव सहित अन्य अधिकारी कर्मचारी डैम टॉवर में ही मौजूद हैं। यहां विभाग के कुल 40 अधिकारी कर्मचारी तैनात है साथ ही निगरानी में आठ-आठ घंटे की ड्यूटी तय की गई है। इसके अलावा यहां कानून व्यवस्था तथा सुरक्षा के मद्देनजर एसएफ 47 जवान तैनात हैं।
हर उपबंध पर निगाहें
बताया गया है कि बांध का जलस्तर निर्धारित से ज्यादा पहुंचने पर इस बांध के सभी उपबंधों पर सतत निगरानी प्रारंभ है तथा कर्मचारियों को वहां तैनात कर दिया गया है। इस डैम के मतहा, भितरी, कंदवारी-1, कंदवारी-2 व झिन्ना उपबंध में लगातार जल स्तर पर निगरानी की जा रही है।
हिनौता घाट का गेज डूबा
मतहा उपबंध पर मिले कर्मचारी रोहणी प्रसाद ने बताया कि रात को 5 सेमी प्रतिघंटे की गति से पानी बढऩे लगा था। तब गेट खोलने की स्थिति बनी है। उन्होंने बताया कि पहली बार इतना जल स्तर बढ़ा है। जल स्तर के बारे में बताया कि हिनौता घाट का गेज डूब गया है। यहां पानी इतनी उंचाई तक पहुंच गया है कि महानदी ठेक मारकर उल्टा जाने लगी है। यह स्थिति सुबह 11 बजे तक रही है। इसके बाद पानी नीचे जाने के बाद स्थिति कुछ सामान्य हुई है।
संभागायुक्त ने लिया जायजा
बाणसागर के गेट खुलने की जानकारी मिलने पर संभागायुक्त टीएन धर्माराव भी यहां पहुंच कर मौका मुआयना किया और स्थितियों का जायजा लिया। इसके अलावा यहां सीधी कलेक्टर भी पहुंचे रहे। वहीं स्थानीय अधिकारी सहित थाना प्रभारी भी यहां लगातार गश्त करते दिखे।