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Tuesday, September 27, 2011

सतना जिले में लाखों का चावल घोटाला

 जिले में मध्यान्ह भोजन के नाम पर लीड समितियों द्वारा लाखों का चावल घोटाला किया जा रहा है। इसके तहत मध्यान्ह भोजन के लिये आने वाले ए ग्रेड के चावल को बीपीएल के मोटे चावल से बदल कर कोटे दारों को दिया जा रहा है और यहां से यही घटिया मोटा चावल स्व सहायता समूहों के माध्यम से स्कूलों के बच्चों को खाने के लिये मिलता है। मजे की बात है कि इसके लिये जिला प्रशासन के पास निगरानी का पर्याप्त अमला है लेकिन वह भी अनदेखी कर रहा है। हालात तो यह है कि जिले के कई वरिष्ठ अधिकारी भी इस बात से अनभिज्ञ है कि एमडीएम और बीपीएल का चावल अलग-अलग क्वालिटी का होता है। इस मामले का खुलासा मनकहरी लीड समिति द्वारा दर्जन भर राशन दुकानों में एमडीएम और बीपीएल के लिये एक ही सप्लाई से हुआ है।
क्या है मामला
मध्यान्ह भोजन का चावल नि:शुल्क केन्द्र सरकार द्वारा दिया जाता है यह ए ग्रेड का चावल होता है जबकि बीपीएल का चावल नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा स्थानीय स्तर पर खरीदी गई धान की मिलिंग के बाद दिया जाता है यह मोटा होता है। मनकहरी लीड समिति द्वारा कृष्णग़, जमुनिया, खटखरी, कोनिया कोठार सहित दर्जन भर राशन दुकानों में एमडीएम और बीपीएल का चावल एक ही प्रकार का बांटा गया है। यह चावल बीपीएल कोटे का मोटा चावल है। जबकि नान से एमडीएम के लिये अलग चावल भेजा गया था और बीपीएल के लिये अलग चावल भेजा गया था। कोटेदारों की माने तो समिति प्रभारी द्वारा यह कोई नई घटना नहीं है बल्कि ऐसा सालों से चल रहा है। इसकी शिकायत भी की गई है लेकिन न तो कोई जांच हुई न ही कार्यवाही।
कहां गया चावल
इस मामले में कोनिया कोठार के कोटेदार महेश सिंह जो कि जमुनिया और खटखरी की राशन दुकाने भी देखते हैं से बात की गई तो इन्होंने स्वीकार किया कि इस बार लीड समिति ने 27 अगस्त के आसपास सप्लाई की है और इनके द्वारा एमडीएम और बीपीएल के लिये एक ही चावल भेजा गया है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि यह कोई पहली घटना नहीं है बल्कि ऐसा कई सालों से हो रहा है। उन्होंने बताया कि जो चावल उनके यहां आया है वह बीपीएल कोटे का मोटा चावल है जबकि एमडीएम का ए ग्रेड का चावल काफी बेहतर व पतला होता है वह नहीं दिया गया। उधर नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों की माने तो लीड समिति के लिये जुलाई में डिलेवरी आर्डर दिया गया था और 2 और तीन अगस्त को माध्यमिक और प्राथमिक विधालयों के मध्यान्ह भोजन के लिये आपूर्ति की गई थी। यहां सवाल यह खड़ा हो रहा है कि जब तीन अगस्त को एमडीएम का नान गोदाम से उठाव हुआ तो फिर 27 अगस्त तक यह चावल कहां रहा और फिर कोटे में यह चावल न पहुंच कर घटिया मोटा बीपीएल चावल कैसे पहुंचा।
ये कहते हैं दस्तावेज
नान के दस्तावेजों की माने तो लीड समिति के लिये माध्यमिक विद्यालय के एमडीएम का डिलेवरी आर्डर क्रमांक 14145 जारी किया गया जो 29 जुलाई को जारी हुआ तथा 2 व 3 अगस्त को ट्रक क्रमांक 3631 से 331 बोरी, ट्रक क्रमांक 6326 से 281 बोरी तथा ट्रक क्रमांक 3169 से 106 बोरी का उठाव किया गया। इसी तरह प्राथमिक विद्यालय के लिये डिलेवरी आर्डर क्रमांक 14146 के तहत 3 अगस्त को 273 किवंटल चावल का उठाव किया गया। जबकि कोटों में यह चावल पहुंचा ही नहीं और 27 अगस्त को जो चावल कोटों में पहुंचा वह एमडीएम का ए ग्रेड का न होकर बीपीएल का चावल रहा।
क्या है खेल
लीड समिति और संबंधित कई विभागों द्वारा इसमें लाखों का खेल किया जाता है। इस मामले में आरटीआई एकिटविस्ट उदयभान चतुर्वेदी बताते हैं कि लीड समिति द्वारा नान के गोदाम से एमडीएम का बढ़िया चावल तो उठा लिया जाता है लेकिन इसे कोटे में न देकर बाजार में बेच लिया जाता है वहीं राइस मिलों से मिलीभगत करके वहां से बीपीएल कोटे का मोटा चावल लेकर एमडीएम के लिये सप्लाई कर लिया जाता है। एमडीएम और बीपीएल चावल की कीमतों का जो लाखों का अन्तर होता है उसे लीड समितियां और संबंधित विभागों के लोग आपस में खुर्दबुर्द कर लेते हैं। मजे की बात तो यह है कि लीड समिति मनकहरी द्वारा विगत माहों में गेहूं में 50 फीसदी रेत मिलाने का मामला भी सामने आया था जिसकी जांच अभी भी लंबित हैं और आरोपी पकड़ से बाहर हैं।
क्या कहते हैं राशन विक्रेता
हमें लीड समिति ने एमडीएम और बीपीएल का एक ही चावल भेजा है। ऐसा पहली बार नहीं है बल्कि कई सालों से हो रहा है। इसमें हमारा कोई दोष नहीं है बलिक समिति जो चावल पहुंचाती है वहीं हम देते हैं। प्रशासन चाहे तो इसकी जांच कर ले हमारे यहां ऐसा ही चावल आया है।
महेश सिंह, कोटेदार कोनिया कोठार

नागरिक आपूर्ति निगम का कथन
एमडीएम का चावल केन्द्र सरकार द्वारा नि:शुल्क सप्लाई किया जाता है। यह ए ग्रेड का चावल होता है जो एफसीआई के थ्रू ट्रांजिक्शन किया जाता है। यह पंजाब, उत्तरप्रदेश और छत्तीसग़ से आता है तथा पतला और बेहतर श्रेणी का होता है। जबकि बीपीएल के लिये जिस चावल की सप्लाई होती है वह प्रदेश की धान होती है जो खरीदी जाती है फिर इसे मिलिंग के लिये भेजा जाता है वहां से जो चावल आता है उसे बीपीएल व एएवाई को दिया जाता है। यह अपेक्षाकृत मोटा और एमडीएम से कम क्वालिटी का होता है।
दिनेश मिश्रा, अधिकारी नान
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यह गंभीर मामला है। इसकी जांच कराई जायेगी और जो भी इसके दोषी पाये जायेंगे उन्हें दण्ड दिया जायेगा।
सुखबीर सिंह, कलेक्टर
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