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Friday, October 21, 2011

समय से पहले लड़कियां हो रही हैं जवान, बच्चे उत्तेजित !

यह आक्सीटोसिन का असर है। 11 वीं की पढ़ाई कर रहे शुभम (बदला हुआ नाम) में लड़कियों के गुण आ गए हैं। वो बात-बात पर शर्माता रहता है। लड़कियों टाईप हरकतें करता रहता है। घर वाले तो परेशान हैं ही साथ ही दोस्त और आसपास के लोग भी उसे इन आदतों को लेकर उसे खूब छेड़ते हैं। यह अभिभावकों के लिए सतर्क होने का समय है। किशोर में स्त्री गुणोन्मुखी आदतें परेशानी का सबब बन रही हैं।

क्या है मामला ?
दरअसल, दूध व सब्जियों में ऑक्सीटोसीन की मात्रा बढ़ रही है। यही बढ़ी मात्रा उनमें यौन विसंगतियां पैदा कर रही हैं। लड़कियों का हाल तो और बुरा है। उनकी यौवनावस्था घट रही है। नौ से 11 साल की उम्र में वो 18 की हो जा रही हैं। इसी का कारण है कि स्कूलों में सेक्स क्राइम की घटना बढ़ रही है। कम उम्र के बच्चे भी उत्तेजित हो रहे हैं। कम उम्र के बच्चों में डायबिटिज़ होने का डर भी रहता है।

क्या कहते हैं पर्यावरणविद् ?
चर्चित पर्यावरणविद् डॉ. नितीश प्रियदर्शी ने भास्कर डॉट कॉम को बताया कि इन कारणों के पीछे ऑक्सीटोसीन युक्त दूध बड़ा कारण है। इसका इंजेक्शन स्वास्थ्य और पर्यावरण को चुनौती दे रहा है। ग्वाले इस इंजेक्शन का उपयोग मवेशियों को देते हैं। फलतः में दुग्ध ग्रंथियां उत्तेजित होती हैं और नियमित इंजेक्शन से दूध में ऑक्सीटोसीन की मात्रा बढ़ जाती है। वहीँ, किसान भी अधिक लाभ कमाने के लिए पौधों में इसका उपयोग करते हैं। इससे सब्जियां भी शरीर में नए चीजों को लाने में मददगार साबित हो रही हैं।

क्या कहते हैं डॉक्टर ?
डॉ. कारण अपूर्व कि मानें तो ऑक्सीटोसीन एक सेक्स हारमोन है। यह दुग्ध ग्रंथियों, यौन ग्रंथियों तथा गर्भाशय पर असर करता है। ऑक्सीटोसीन युक्त दूध पीकर कम उम्र के लड़के-लड़कियां प्रभावित हो रहे हैं। इससे यौन विकास समय से पहले होने लगता है। इतना ही नहीं लड़कों में स्त्रीय गुण भी आने लगते हैं। इसके अधिक सेवन से हारमोन अनियंत्रित हो जाता है।

क्या है ऑक्सीटोसीन ?
ऑक्सीटोसीन एक प्रोटीनयुक्त हारमोन होता है। गाय व भैंसों में दुग्ध ग्रंथियों को उत्तेजित करने के लिए आपात स्थिति में पशु चिकित्सक इसका इस्तेमाल करते हैं। पर आजकल पशुपालक इस इंजेक्शन का नियमित रूप से व्यवहार करने लगे हैं। इसी का गंभीर परिणाम पशुओं व ऑक्सीटोसीन युक्त दूध पीने वालों को भुगतना पड़ रहा है। इसी से हारमोन संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं।
(sabhar bhaskar)

Saturday, October 15, 2011

यूपीए सरकार देश के संघीय ढांचे को ध्वस्त करने में तुलीः आणवाणी

सर्किट हाउस में पत्रकार बार्ता के दौरान लालकृष्ण आडवाणी,
मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान,  प्रदेशाध्यक्ष  प्रभात झा
जनचेतना यात्रा के साथ यहां पहुंचे भाजपा के शिखर नेता लालकृष्ण आडवाणी ने परिवारवाद को  लोकतंत्र का सबसे बड़ा दुश्मन बताते हुए कहा कि भाजपा में प्रधानमंत्री पद का फैसला संसदीय दल द्वारा लोकतांत्रिक तरीके  से होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे पीएम की रेस में नहीं हैं। शुक्रवार को सतना के सर्किट हाउस में श्री आडवाणी ने पत्रकार वार्ता में कहा कि कांग्रेस में पद परिवार व वंशवाद के आधार पर दिये जाते हैं। देश में भाजपा और कम्युनिस्ट ऐसी दो पार्टियां हैं जहां परिवारवाद के लिये कोई गुंजाइश नहीं है।
श्री आडवाणी ने यूपीए सरकार पर प्रदेश सरकारों के प्रति भेदभाव बरतने के तीखे आरोप लगाते हुए कहा कि वे संघीय ढांचे को ध्वस्त करने में लगे हैं। एनडीए के छः साल के कार्यकाल में कभी ऐसा नहीं हुआ। श्री आडवाणी ने कहा कि एनडीए के शासनकाल में एक प्रदेश के विपक्षी पार्टी के मुख्यमंत्री का यह कहना कि ‘उन्हें कभी ऐसा नहीं लगा कि केन्द्र सरकार ने उनके साथ न्याय नहीं किया। एनडीए के समय कभी कोई भेदभाव नहीं हुआ’ वाजपेयी सरकार के लिये बड़ा सर्टिफिकेट है।
भारत के संवैधानिक ढांचे की विशेषता बताते हुए उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में उन्हें इस बात का गर्व है कि यहां की सरकार प्रमाणिकता और सार्थकता के साथ गरीब कल्याण के कार्यक्रम लागू कर रही है। लेकिन जब एसी सरकार के साथ केन्द्र की सरकार भेदभाव करती है तो दुःख होता है।
यूपीए करती है भेदभाव
श्री आडवाणी ने कहा कि इस समय जब सा देश में भ्रष्टाचार का माहौल है वहां मध्यप्रदेश की सरकार ने भ्रष्टाचारियों की संपत्ति राजसात करने का कानून बनाया। वह कानून बनने के बाद भी केन्द्र में पड़ा रहेगा। उन्होंने  कहा कि यहां के तीन कानून है जिन्हें केन्द्र द्वारा पास नहीं किया जा रहा है। भेदभाव को और स्पष्ट करते हुए कहा कि मकोका को एमपी और गुजरात सरकार के लिये पास नहीं करती जबकि यह महाराष्ट्र का अक्षरशः है। यह मध्यप्रदेश सरकार के साथ स्पष्ट भेदभाव है। श्री आडवाणी ने केन्द्र पर हमला जारी रखते हुए कहा कि केन्द्र सरकार खाद कोयले की आपूर्ति पूरा नहीं होने देती है। यह हल्की चीजें नहीं है। यह संविधान के नजरिये से भी सीरियस मैटर है।
न्यायपालिका और लोकपाल की व्यवस्था अलग हो
श्री आडवाणी ने लोकपाल के दायरे में न्यायपालिका और प्रधानमंत्री को शामिल करने के मुद्दे पर कहा कि न्यायपालिका की व्यवस्था अलग होनी चाहिये और लोकपाल की व्यवस्था अलग होनी चाहिये। केन्द्र सरकार ने जो किया है उसमें प्रधानमंत्री को लोकपाल की व्यवस्था में नहीं रखा है, जबकि हमने राष्ट्रीय सुरक्षा को अपवाद में रखते हुए लोकपाल के दायरे में प्रधानमंत्री को रखा था। टीम अन्ना से इस मसले पर अपनी चर्चा का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि 2 घंटे की चर्चा में अन्ना और उनकी टीम सभी विषयों पर एक मत थी। आज क्यों उनका मत दूसरा हो गया है नहीं जानता।
अटल जी सर्वश्रेष्ठ
पार्टी में अटल जी की सक्रियता नहीं होने के संबंध में उन्होंने कहा कि अटल जी सर्वश्रेष्ठ व सर्वमान्य नेता रहे हैं। उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है। उन्हें राज्यसभा में लाने की बहुत कोशिश की लेकिन उनका कहना था कि इस अवस्था में वे अपने कर्तव्य से न्याय नहीं कर पाएंगे।
लोकायुक्त मामले पर गंभीर
ल¨कायुक्त क¨ पूरी गंभीरता से लिया जा रहा है और कर्नाटक में कार्यवाही भी की है। सीएम को ऐसे मामलों में सख्ती बरतनी चाहिये। यह बातें उन्होंने मध्यप्रदेश में कई मंत्रियों के मामले लोकायुक्त में होने के बाद भ्रष्टाचार के दोहरे मापदण्डों पर कहीं। हालांकि इस दौरान प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा ने बताया कि मध्यप्रदेश में मंत्रियों के संबंध में एसी कोई लोकायुक्त रिपोर्ट नहीं हैं।