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Thursday, November 1, 2007

सरकारी गलती से ११ वर्षीय छात्रा के विरुद्ध वारंट

सरकारी कार्यशैली का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक ग्यारह वर्षीय मासूम बालिका बगैर अपराध के वारंटी बन गई और विभागीय अधिकारी अब कुछ बोलने को तैयार नहीं है.
यह मामला श्रम विभाग सतना के एक निरीक्षक की घोर लापरवाही का नतीजा है जिसके चलते एक ११ वर्षीय बालिका के विरुद्ध न केवल प्रकरण दर्ज कर दिया गया और उसके खिलाफ वारंट भी जारी कर दिया गया. नतीजतन बालिका की जमानत करानी पड़ी. सरकारी तौर पर ऑन रिकार्ड हुई गड़बड़ी के चलते बालिका इस कदर डरी सहमी है कि उसे हर पल पुलिस का खौफ है जिसका असर उसकी पढ़ाई पर भी पड़ रहा हैं.
मामले के अनुसार सतना के चौक बाजार में साहेब जी गिफ्ट सेंटर के संचालक जगदीश गिरधानी की ११ वर्षीय पुत्री सुरभि गिरधानी के विरुद्ध श्रम विभाग के एक निरीक्षक की रिपोर्ट पर दुकान-स्थापना अधिनियम १९५८ के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है. अनुविभागीय दण्डाधिकारी रघुराज नगर के न्यायालय से सुरभि के विरुद्ध जारी जमानती वारंट की तामीली कराने जब पुलिस गिरधानी की दुकान पर पहुंची तो गिरधानी परिवार के होश उड़ गए. वारंट के साथ पहुंची पुलिस सुरभि को गिरफ्तार करने पर अड़ी थी लेकिन श्री गिरधानी के आरजू मिन्नत करने पर पुलिस कर्मियों ने भी मामला एक मासूम छात्रा के होने के कारण सहृदयता दिखाई और ५ हजार के मुचलके पर छोड़ दिया. अब सुरभि को १५ नवंबर को एसडीएम न्यायालय में पेश होने का नोटिस दिया गया है.

जिम्मेदार कौन ?
सातवीं कक्षा में पढ़ने वाली इस ग्यारह वर्षीय नन्ही सुरभि को दुकान स्थापना अधिनियम के तहत आरोपी बनाने के पीछे श्रम विभाग के बहादुर निरीक्षक की क्या मंशा थी और उसके पास क्या आधार था यह तो वे ही जाने लेकिन सुरभि की मनोदशा के लिये के लिये आखिर कौन जिम्मेदार है. यदि देखा जाय तो श्री गिरधानी के मुताबिक दुकान का पंजीयन उनकी पत्नी श्रीमती वर्षा गिरधानी के नाम है. ऐसे में दुकान स्थापना अधिनियम को लेकर कोई मामला बनता भी था तो वह श्रीमती खिलवानी के नाम पर बनता न कि उनके खानदान पर. लेकिन श्रम विभाग के निरीक्षक ने तो लड़की के ही खिलाफ मामला दर्ज कर डाला. यदि यह लापरवाही है तो फिर इस लापरवाही की सजा कौन भुगतेगा.
सुरभि की मनोदशा पर असर
दुकान-दुकान अवैध वसूली करते घूमते श्रम विभाग के इन निरीक्षक की करतूत के चलते इस मासूम के खिलाफ वारंट तो जारी हुआ ही उसकी मनोदशा पर भी काफी प्रभाव पड़ा है. जिस दिन से पुलिस उसे पकड़ने उसे उसके घर आयी है उस दिन से वह डरी सहमी रहने लगी है. अक्सर वह गुमसुम रहती है तथा उसने अब बाहर खेलना कूदना भी बंद कर दिया है. पढ़ाई में अव्वल रहने वाली सुरभि का मन अब पढ़ाई में भी नहीं लगता है. उसे हर पल अब पुलिस का भय सताता रहता है और अब तो वह यह भी कहने लगी है कि अंकल पुलिस वाले फिल्मों की तरह ही मारते हैं क्या? पापा मैं थाने नहीं जाउंगी.


निरीक्षक के खिलाफ होगी कार्रवाई
उधर मासूम छात्रा के खिलाफ वारंट जारी होने के मामले में एसडीएम रघुराजनगर आर.के.चौधरी कहते हैं कि वारंट जारी करने के मामले में कोई त्रुटि हुई है तो अभियोग पत्र पेश करने वाले निरीक्षक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. अभियोग पत्र में कहीं उम्र का जिक्र नहीं है. यदि उम्र दर्शायी गई होती तो वारंट जारी नहीं होता. इस मामले का परीक्षण कर त्वरित और उचित कार्रवाई की जाएगी. सुरभि के साथ न्याय होगा.

3 comments:

ghughutibasuti said...

वाह रे मेरे भारत महान ! पुलिस का नाम सुनकर अच्छे अच्छों के पसीने छूट जाते हैं फिर यह तो एक बच्ची ही है ।
घुघुटी बासूती

बालकिशन said...

हमारे देश की त्रासदी है ये घटना. जिम्मेदार को सज़ा मिलनी ही चाहिए.

Sagar Chand Nahar said...

एस डी एम साहब का कहना था कि अभियोग पत्र में उम्र लिखी हुई नहीं थी पर सुरभी को गिरफ्तार करने पहुँची पुलिस ने सुरभि को नहीं देखा था क्या? क्या उन्हें बच्ची को देख कर उसकी उम्र का पता नहीं चला?
कैसा मूर्खतापूर्ण तर्क है पुलिस का!!!
॥दस्तक॥
गीतों की महफिल