
युवाओं में बढ़ती हिंसा का जिम्मेदार कौन? इस विषय को लेकर विगत दिवस शहर में एक काफी बड़ी गोष्ठी आयोजित की गई. जिसमें शहर के जानेमाने या कहे नामवर लोगों ने सहभागिता तो निभाई ही काफी संख्या में शिक्षाविद व वरिष्ठ नागरिक भी उपस्थित रहे. चर्चा जब शुरू हुई तो पहले लोगों को काफी समय लग गया विषम में आने का फिर जब तक में वे विषय में आ पाए तो ज्यादातर लोगों ने इसके लिये मीडिया को ही जिम्मेदार ठहराया. हालांकि मैं भी वहीं था और मुझे लगा कि मुझे बोलना चाहिये लेकिन कुछ ऐसा था जिस वजह से मैं वहां नहीं बोल सका. लेकिन मेरा सवाल यह है कि लोग आखिर हर बात के लिए मीडिया को दोषी क्यों ठहराते हैं जबकि मीडिया तो महज एक आईना है जो होता है उसी का अक्श ही दिखाता है. अब लीजिये गोष्ठी में एक काफी बुजुर्ग, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, वरिष्ट समाजसेवी भी थे उन्होंने बात रखी की एक बार कहीं एक युवक किसी अपराध के मामले में पकड़ा गया तो उसने बताया कि उसने ऐसा किसी चैनल में देखा था बस क्या था उसके लिये मीडिया पर पिल पड़े लेकिन वही जनाब यह भूल जाते है कि चैनल में कई अच्छी बातें भी दिखाई गई कई अच्छे लोग भी बने लेकिन तब किसी ने नहीं कहा कि यह मीडिया की बजह से उपर आया. आखिर यह नकारात्मक सोच मीडिया के लिये क्यों बन रही है?