
क्या है मामला ?
दरअसल, दूध व सब्जियों में ऑक्सीटोसीन की मात्रा बढ़ रही है। यही बढ़ी मात्रा उनमें यौन विसंगतियां पैदा कर रही हैं। लड़कियों का हाल तो और बुरा है। उनकी यौवनावस्था घट रही है। नौ से 11 साल की उम्र में वो 18 की हो जा रही हैं। इसी का कारण है कि स्कूलों में सेक्स क्राइम की घटना बढ़ रही है। कम उम्र के बच्चे भी उत्तेजित हो रहे हैं। कम उम्र के बच्चों में डायबिटिज़ होने का डर भी रहता है।
क्या कहते हैं पर्यावरणविद् ?
चर्चित पर्यावरणविद् डॉ. नितीश प्रियदर्शी ने भास्कर डॉट कॉम को बताया कि इन कारणों के पीछे ऑक्सीटोसीन युक्त दूध बड़ा कारण है। इसका इंजेक्शन स्वास्थ्य और पर्यावरण को चुनौती दे रहा है। ग्वाले इस इंजेक्शन का उपयोग मवेशियों को देते हैं। फलतः में दुग्ध ग्रंथियां उत्तेजित होती हैं और नियमित इंजेक्शन से दूध में ऑक्सीटोसीन की मात्रा बढ़ जाती है। वहीँ, किसान भी अधिक लाभ कमाने के लिए पौधों में इसका उपयोग करते हैं। इससे सब्जियां भी शरीर में नए चीजों को लाने में मददगार साबित हो रही हैं।
क्या कहते हैं डॉक्टर ?
डॉ. कारण अपूर्व कि मानें तो ऑक्सीटोसीन एक सेक्स हारमोन है। यह दुग्ध ग्रंथियों, यौन ग्रंथियों तथा गर्भाशय पर असर करता है। ऑक्सीटोसीन युक्त दूध पीकर कम उम्र के लड़के-लड़कियां प्रभावित हो रहे हैं। इससे यौन विकास समय से पहले होने लगता है। इतना ही नहीं लड़कों में स्त्रीय गुण भी आने लगते हैं। इसके अधिक सेवन से हारमोन अनियंत्रित हो जाता है।
क्या है ऑक्सीटोसीन ?
ऑक्सीटोसीन एक प्रोटीनयुक्त हारमोन होता है। गाय व भैंसों में दुग्ध ग्रंथियों को उत्तेजित करने के लिए आपात स्थिति में पशु चिकित्सक इसका इस्तेमाल करते हैं। पर आजकल पशुपालक इस इंजेक्शन का नियमित रूप से व्यवहार करने लगे हैं। इसी का गंभीर परिणाम पशुओं व ऑक्सीटोसीन युक्त दूध पीने वालों को भुगतना पड़ रहा है। इसी से हारमोन संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं।
(sabhar bhaskar)