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Wednesday, May 16, 2007

आरएसएस का स्याह चेहरा

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ जिसके बारे में जितना कहा जाये अपने में कम है. कई तो संघ के बारे में काफी कुछ कह कर भी नहीं थकते , लेकिन विगत दिवस हुए एक खुलासे ने मुझे झकझोर कर रख दिया. अब मुझे यह समझ में नहीं आ रहा कि संघ दूसरों को निवाला देने वाला संगठन है या दूसरों का हक मार कर अपना पेट भरने वाल संगठन.
यह मामला सतना जिले का है और सीधे तौर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत संघ चालक से जुड़ा है. एक तौर पर यह मामला उतना बड़ा नहीं है लेकिन इसके निहितार्थ देखे जाएं तो शायद संघियों का चेहरा सामने आ जाएगा. अभी तक मैं स्वयं इसे एक बेहतर संगठन और इसके पदाधिकारियों को अनुकरणीय मानता था. मामला यह है कि प्रांत संघ चालक श्री कृष्ण माहेश्वरी स्वयं में एक करोड़पति व्यवसाई हैं उनके फिनायल बनाने सहित और भी न जाने कितने धंधे है उनका भतीजा है मणिकांत माहेश्वरी जो स्वयं आर्किटेक्ट होने के साथ-साथ एक सफल व्यवसाई है. प्रति माह लाखों की कमाई है लेकिन इनकी हकीकत तब बयां हुई जब कलोक्टोरेट के कर्मचारी ने एक आदेश की कापी दी.
यह आदेश मध्यप्रदेश के पशुपालन एवं गौ संवर्धन विभाग मंत्री रमाकान्त तिवारी के स्वेच्छानुदान मद के ७७ हजार रुपये में से मणिकान्त माहेश्वरी के उपचार के लिये १५ हजार रुपए मंजूर करने संबंधी था.
यह अपने आप में सोचनीय है कि वास्तव में गरीब और बीमार किसी मरीज को मंत्री द्वारा कभी अपने स्वेच्छानुदान मद से राशि नहीं दी जाती लेकिन एक करोड़पति संघी के लिये मंत्री ने तुरंत १५ हजार रुपए दे दिये और धन्य है ये संघी जो करोड़पति होते हुए भी अपने इलाज के लिये मदद की आवश्यकता आ पड़ी और शासन से मदद ली. जब कि मेरी बेहतर जानकारी के अनुसार अभी तक मणिकान्त जी इतने बीमार भी नहीं पड़े थे.
दूसरों की सहायता का दम भरने वाले इन संघियों से अब आप क्या आशा करेंगे जब वे खुद किसी गरीब के हक का पैसा अपने इलाज के नाम पर खा रहे हैं वह भी तब जब वे संघ के इतने बड़े पदाधिकारी के भतीजे हैं व स्वयं संघ के सक्रिय सदस्य व स्थानीय पदाधिकारी है. कई बार तो यह बातें भी सामने आई हैं कि नगर निगम में फिनायल की सप्लाई इनके संघी होने के नाते करवाई जाती है और अधिकारी भाजपा शासन में कुछ करने से पहले संघी की क्षमता का आकलन तो लगा ही लेते है. कुळ मिलाकर संघ राज चल रहा है.

10 comments:

Anonymous said...

एसा अनुदान देने और पाने वाले दोंनों को धिक्कार है

संजय बेंगाणी said...

पढ़ कर आहत हुए भैये.

परमजीत सिहँ बाली said...

सत्य को उजागर करने के लिए बधाई।वैसे इन जैसे लोगो की हमारे देश में कमी नही है।आप को जगह-जगह इन के दर्शन हो जाएगें।

पंकज said...

यदि यह सत्य है तो शर्मनाक है।

अगिनखोर said...

भाई, संघ का चेहरा तो इससे भी स्याह है. यह स्याही 1925 से अब तक हुए दंगों की स्याही है, उसमें जलाये गये घरों से राख की स्याही है, उसमें फ़ूंक दिये गये बच्चों-औरतों की राख की स्याही है.
यह काफ़ी है संघ की असलियत के लिए. शुक्रिया.

Pramendra Pratap Singh said...

अगर ऐसा है तो व्‍यक्ति निन्‍दा की जानी चाहिये न कि संगठन निन्‍दा।

यह बात सही है कि व्‍यक्ति की गल्तियों के लाक्षन संगठन पर लगता है। परन्‍तु यह कहना कहॉं तक ठीक होगा। क्‍या परिवार के किसी सदस्‍य पर चोर होने पर किसी पूरे परिवार को चोर कहना ठीक है ?

लिखने का बहुत मन है इसके आगे जल्‍द ही लिखूँगा।

Anonymous said...

Roman hindi ke liye kshma. Main yahan kisi dal ke paksh ya vipaksh mein nahin keh raha. Par kya aajkal aise log har jagah nahin hai. Jo apni jaan pehchan ka fayda uthana chate hain. Shayad kabhi aapne bhi kiya ho (bade level par na sahi) jaise ki bill ki line mein lagen ho aur clerk aapka janne vala ho to aapne jan pehchan ka fayda uthaya aur line se alag sabse pehle bill de diya. Is tarah ke na jane hum log kitne kaam roj karte hain. jiski jitni badi pehchan vo utna hi bada haath maarta hai. To point ye, ki poora samaj hi aisa ho gaya hai. aur koi bhi party, samaj ke logon se hi banti hai. usmein aap aur main bhi shamil hain. yadi hum un chote cote galat kamon ko na karen aur na hi hone den, to ek din bade galat kaam bhi nahin honge.

Ramashankar said...

महाशक्ति ने ठीक कहा है. लेकिन जैसा कि आप लिख चुके हैं आप सतना से भी जुड़े हैं तो आप चाहे तो इस परिवार का इतिहास पता कर सकते हैं. खुद संघ पदाधिकारी का इतिहास भी काफी कालिख लिए हुए है. कभी रेलवे विभाग ने इन्हें निलंबित किया था. मैं और ज्यादा गड़े मुर्दे नहीं निकालूंगा. लेकिन जब किसी संगठन के बड़े पदाधिकारी के यहां ऐसा होता है तो उंगली पूरे संघ पर उठती है. रही बात मेरी संघ को गलत कहने की तो मैं खुद संघ का हिमायती हूं. मैने यह नहीं कहा संघ स्याह है बल्कि संघ का स्याह चेहरा कहा है इसलिये आप फिर से शब्दों पर गौर कीजीएगा. रही बात बेनाम जी की को बच्चें घर में लड्डुओं की चोरी करते हैं तो वह सजा के पात्र नहीं है लेकिन आगे आप समझदार है. फिर भी मेरे इस मैटर से किसी को बुरा लगा है तो मैं क्षमा प्रार्थी हूं.

Anonymous said...

Magar choti choti chezen agey chal kar badi ho jati hai. Aur jab sab log aisa karen, to rashtriya charitra ban jati hain.
Laddu ki Chori par bachhon ko saja nahin deni chahiye par bachhhon ko batana chahiye ke ye galat hai, aur age se karne par saja ho sakti hai.

Ramashankar said...

choti chezen agey chal kar badi ho jati hai... बस महोदय मैं भी यही कहना चाह रहा था कहने का तरीका दूसरा था. आज एक संघी ने छोटी गलती की कल वह दूसरी बड़ी गलती करेगा. उसे देख कर दूसरे करेंगे और यह चैन आगे ही बढ़ती जाएगी. इसलिये इसे यही रोकना चाहिये . हो सके तो उस पदाधिकारी को भी चेतावनी देना चाहिए