
पुलिस के लिये चुनौती बन चुके दस्यु सरगना गौरी यादव एवं मुन्नीलाल यादव गिरोह का बाल बांका नहीं कर पाये पुलिस वालों ने एक बेकसूर ग्रामीण का इनकाउंटर कर दिया. नयागांव थाना इलाके के उदयपुर गांव से सटे जंगल में पुलिस ने इस घटना को मुठभेड़ की आड़ में अंजाम दिया . वाहवाही लूटने के लिये बेकसूर गणेश साहू को मौत के घाट उतारने के इस सनसनीखेज मामले में मृतक के पिता द्वारा आरोप लगाए जाने के बाद तीन अज्ञात पुलिसकर्मियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया. बताया गया है कि नयागांव पुलिस को सुबह मुखबिर से यह सूचना मिली थी कि गौरी यादव व खड़ग सिंह दस्यु गिरोहउदयपुर गांव के पास डेरा डाले है. सूचना पर पुलिस ने घेराबंदी की लेकिन डकैत चकमा दे कर निकल गए. तब खिसियाए पुलिसवाले अपनी नाक ऊंची बनाए रखने के लिये खेत में काम कर रहे पालदेव गांव के युवक गणेश साहू का इनकाउंटर कर दिया और प्रचारित कर दिया गया कि एक दस्यु मुठभेड़ में ढेर हो गया. लेकिन आंखो के सामने हुए इस घटनाक्रम को उसके पिता ने जब बेखौफ होकर सबके सामने उजागर किया तो पुलिस वालों का भांडा फूटा और वह अब बचाव की मुद्रा में है. लेकिन उस निर्दोष गणेश जो अब इस दुनिया में नहीं उसके साथ क्या न्याय हो पाएगा?
मेरी आंखों के सामने गोली मारी : मृतक गणेश साहू के पिता बोदा साहू का कहना है कि तीन पुलिस वाले चितकबरी वर्दी में घर आए. पुत्र गणेश को पकड़ा . बिना किसी प्रकार की पूछताछ के उसके सीने में गोली डाल दी. जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई.
दोषी पुलिसकर्मी जेल भेजे जाएंगेःआईजी
आईजी अशोक सोनी ने कहा है कि मृतक सीधा साधा लड़का था. उसे किसकी गोली लगी यह नहीं मालूम. मृतक के पिता का कहना है कि उसके पुत्र को तीन पुलिस वालों ने गोली मारी है. यदि पुलिस वाले दोषी पाए गए तो उन्हे किसी भी कीमत में छोड़ा नहीं जाएगा. उन्हे सलाखों के पीछे भेजा जाएगा.
मृतक निर्दोष थाः एसपी
पुलिस अधीक्षक कमल सिंह राठौर ने कहा है कि घटना की मजिस्ट्रीयल जांच कराई जाएगी. मृतक के पास किसी प्रकार का हथियार नहीं होना यह सिद्ध करता है कि वह निर्दोष था. उसके खिलाफ कोई अपराध हमारे यहां दर्ज नहीं है. दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा.
प्रमोशन की साजिश?
तराई व दस्यु प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों की माने तो उनका कहना है यहां ऑउट ऑफ टर्न प्रमोशन का धंधा चल रहा है. फर्जी मुठभेड़ दिखा कर निर्दोषों को मारा जा रहा है. डकैत घूम रहे है. हमेशा मुठभेड़ के बाद बताया जाता है सैकड़ों राउण्ड फायरिंग हुई लेकिन क्यों कोई डकैत नहीं मरता गिनती की फायरिंग को निर्दोष धराशायी कर दिये जाते है. इनकी माने तो अब तक यहां जितने डकैत मरे हैं उनमें 75 फीसदी की मौत फर्जी मुठभेड़ में हुई है. वे या तो सरेडर कर रहे थे या फिर किसी और द्वारा मारे गए थे या आपसी गैंग वार में मरे थे जिसका श्रेय बाद में पुलिस ने लिया.