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Saturday, July 19, 2008

कातिल तय करेंगे देश की किस्मत

आजादी के दीवानों ने अपने सर कलम कराते वक्त यह न सोचा रहा होगा कि आजाद भारत की किस्मत का फैसला कातिलों के हाथ होगा न ही संविधान निर्माताओं ने यह सोचा होगा कि खून से सने हाथ संविधान के पन्नों के सहारे ही लोकतंत्र की दिशा तय करेंगे.
लेकिन यह होने जा रहा है. सारा देश देख रहा है लेकिन लोकतंत्र के इन फरमाबरदारों को इससे क्या लेना. उन्हें तो अपनी लाज बचानी है चाहे देश का सत्यानाश हो जाए. जिन्हे यह नहीं मालूम के राष्ट्र गीत क्या है वे राष्ट्र की परिभाषा नहीं जानते वहीं आज राष्ट्र की सबसे प्रभुत्वशाली भवन में जाकर अपनी मनमानी कर रहे है.
हत्या, बलात्कार, लूट जैसे जघन्य अपराधों के जुर्म में सींखचों के पीछे कैद अपराध जगत के बाहुबली अपराधी अब सरकार की जिंदगी का फैसला करेंगे. देशभक्ति का दम भरने वाले दल सारी मर्यादाएं भूल कर सरकार बचाने व गिराने के लिये इनके पैरों में गिर रहें.
अब क्या आशा कर सकते हैं कि देश की दशा व दिशा क्या होगी.

3 comments:

dhurvirodhi said...

रमा साहब, अपनी चिंता में मेरा स्वर भी शामिल कर लीजिये. इन बेशर्म कम्बख्तों ने गणतंत्र को गनतंत्र बना दिया है.
लेकिन आशा मत छोड़िये. सुबह ज़रूर येगी, ज़रूर ज़रूर आयेगी.

संजय बेंगाणी said...

इन्हे जनता ही चुन कर भेजती है.


देश का दुर्भाग्य है, और क्या?

rakhshanda said...

सारी गलती हमारी अपनी है,ये हम हैं जो ऐसे घटिया लोगों को चुनते हैं...जब कांटे ख़ुद बोए हैं तो चुभन तो होगी ही...
इस से बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा की आज मायावती के प्रधानमंत्री बन्ने की बातें होने लगी हैं...
रमा जी, बहुत खुशी हुयी आप मेरे ब्लॉग पर आए और अपना नजरिया पेश किया...pls be with me...thank u so much