Roman Hindi Gujarati bengali tamil telugu malayalam

Sunday, April 13, 2008

तो क्या वह लाश लापता पत्रकार की है ?

विगत दिवस मैहर में मिली युवक की लाश का मामला गहरा गया है. युवक की हत्या के बाद फरार युवती की भी हत्या कर दी गई है. उसका शव बनारस के एक होटल में बरामद किया गया है. संभावना जताई जा रही है मैहर में मिला शव इलाहाबाद से लापता एक पत्रकार का हो सकता है. इधर लाश के मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस और मध्य प्रदेश पुलिस में हड़कंप मच गया है. इससे मामले के हाईप्रोफाइल होने के भी कयास लगाए जा रहे हैं. सतना के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजाराम सिंह ने बताया है कि मैहर के कादम्बनी होटल में के गेस्ट हाउस में युवक की हत्या के बाद वहां से जो दस्तावेज मिले थे वहीं दस्तावेज बनारस के सिगरा इलाके में स्थित होटल आदित्यइन में हैं. मैहर से युवक की हत्या के बाद फरार हुई युवती का शव उसी होटल के एक कमरे में पाया गया है. मैहर में मृत युवक ने अपना नाम मनोज सिंह तथा युवती का नाम अंजली सिंह बताया था तथा पता दुर्गा अपार्टमेंट सरदार पटेल रोड इलाहाबाद उत्तरप्रदेश दर्ज कराया था. लेकिन पुलिस की पड़ताल में युवती का शव मिलने के बाद उसका असली नाम ज्योत्सना डेविड पता चला है. उसने नीरज सिंह नामक युवक से शादी करके अपना नाम ज्योत्सना सिंह लिखना शुरू कर दिया था. वह इलाहाबाद में एक नर्सिंग होम में नर्स थी. युवती अपने साथी युवक के साथ 6 अप्रैल को दोपहर मैहर होटल में पहुंची थी. बुधवार को तड़के वह युवती होटल से फरार हो गई थी तथा बाद में होटल के वेटर को फोन करके बताया कि मेरे कमरे में युवक की लाश पड़ी है. वह मेरा पति नहीं था. वह सिर्फ इन्ज्वाय करने आई थी. उसने यह भी बताया था वह काफी दूर निकल आई है और अपना सिम कार्ड तोड़ रही है. इसके बाद पुलिस की छानबीन में पता चला कि इलाहाबाद में एक दैनिक हिन्दी अखबार का उप संपादक स्तर का कर्मचारी लापता है. इस घटना की सूचना मिलने पर इलाहाबाद से पुलिस व उसके परिजन यहां शव की शिनाख्त के लिये पहुंचे हैं. शिनाख्त में विरोधाभासमैहर शिनाख्त में पहुंची पुलिस व युवक के परिजनों ने जहां शव की अखबार के कर्मचारी होने से इन्कार किया है वहीं होटल के एक कर्मचारी ने उनके साथ लाई फोटो को देख कर पूरी तरह से यह संभावना जताई है कि फोटो मैहर में मृत युवक की ही है. इस बात को लेकर स्थानीय पुलिस उहापोह में है.

क्या माफिया या हाईप्रोफाइल लोगों से जुड़े हैं तार
इस घटना ने यूपी व एमपी पुलिस को झकझोर कर रख दिया है. इसके पीछे असलियत क्या है यह जानने की कोशिश लगातार की जा रही है. कयासों की बात करें तो इस घटना के पीछे ऐसा जान पड़ता है कि युवक के पास कोई बड़ा मामला रहा होगा. वह सनसनी खेज घटना को अंजाम देने वाला रहा होगा. इस लिये माफिया या हाईप्रोफाइल लोगों ने युवक की हत्या के लिये युवती का इस्तेमाल किया होगा.बाद में सबूत मिटाने के लिये युवती की भी हत्या कर दी.

मामा ने भी किया बलात्कार
बनारस में युवती के कमरे से एक पत्र मिला है जिसमें लिखा है कि मैं परेशान हूं . मेरा पति ठीक नहीं है. उसने पूरे इलाहाबाद में मेरा दैहिक शोषण कराया. मामा ने भी मेरा बलात्कार किया. मेरा पति नीरज सोनभद्र टाडा का है. वह इण्डालको में नौकरी करता था. तभी से मेरे और उसके बीच संबंध बन गए थे. पन्द्रह दिन से पति भी लापता है.

इस हत्याकांड ने कई सवाल खड़े कर दिये है-
यदि शव पत्रकार का है तो पुलिस व परिजन पहचानने से इंकार क्यों कर रहे है.
पुलिस ने आज जो फोटो जारी किये है उसमें उसके माथे में गोली के भी निशान दिख रहे हैं.
आखिर युवती बनारस क्यों पहुंची.
युवती ने आत्महत्या की या उसकी हत्या की गई.
इस तरह के तमाम सवाल अभी गुत्थी बने हुए है वहीं एक और सामाजिक नजरिया भी सामने आया है कि क्या पति अपनी पत्नी को बाजार में उतार सकता है यदि हां तो उस युवती ने तब पुलिस को क्यों नहीं बताया.

2 comments:

Anonymous said...

रमा शंकर जी आपने विचारो की अभिव्यक्ति के लिये जिस माध्यम् को चुना वह वैश्विक है।यह नि:सन्देह आपके मनोभाव को आपकी सोच अनुसार बिस्तार देता है लेकिन जिस पर लोगो को आपत्ति है वह है आपके ब्लाग का नाम साहब सलाम
होना। बघेलखण्ड मे यह जाति विशेष के अभिवादन का तरीका है जो सामंती परम्परा को दर्शाता है। बघेलखण्ड का ठाकुर जाति केवल ठाकुरो को अपने बीच या अन्य वर्ग के लोग ठाकुरो को अभिवादन करते समय साहेब सलाम करते है । अन्य लोग अपने बीच सामान्य शिष्टाचार निभाते हुये "राम राम" या जै राम जी बोलकर अभिवादन करते है। इसका अर्थ है की सामंती प्रवति के कारण ठाकुर लोग अन्य से दोयम दर्जे का व्यवहार करते है।यह सर्व बिदित है की एक ठाकुर ब्यक्ति अन्य वर्ग को अभिवादन मे साहेब सलाम नही कहता इस दृष्टिकोण से यह सामंती प्रवत्ति है जिसको आप जिन्दा रख कर गुलामी मानसिकता के पोषक हो रहे है। आपका ब्लाग छत्तीसगढ मे मेरे समूह द्वारा पढा जाता है जिसमे से कई लोग बघेलखण्ड् के है अत: उनका सोचना किस हद तक ठीक है यह आप सोचेँ।
मेरा मानना है की आप,सत्य को सीधे बिना लाग लपेट कहने वाले श्री कबीर के अनुयायियो द्वारा किये जाने वाले अभिवादन "साहेब बन्दगी "को अपना ले।
कबीर जैसा निर्मल मन रख अपने ब्लाग को साहेब बन्दगी का नाम दे और आज से कहेँ साहेब बन्दगी।

शेष अगली मुलाकात मेँ
'''उमेश कुमार सोनी'''
बिलासपुर छत्तीसगढ्

विजयशंकर चतुर्वेदी said...

blogbazi niyamit honi chahiye. sust mat pad jaaya keejiye.