
प्राप्त जानकारी के अनुसार उस युवक की उम्र 30 के आसपास थी. पूरा शरीर नीला पड़ चुका था. नाक मुंह से खून निकल रहा था. पुलिस को सूचना होटल वालों ने दी. बताया गया है कि मृतक 6 अप्रैल को दोपहर 2.30 बजे एक महिला के साथ होटल आया था. यहां महिला को अपनी पत्नी बताते हुए कमरा बुक कराया था. होटल का कमरा खाली न होने पर रेस्ट हाउस के तौर पर बना के कमरा नं बी1 दिया गया था. उसने 3 हजार रुपये एडवांस भी दिये. उन्होंने बताया कि वे यहां दस दिन भी रुक सकते हैं. 7 अप्रेल को वे घूमने गए. युवक ने शारदा मंदिर में सिर भी मुंडवाया. वापस आकर खाने पीने की वस्तुएं मंगा कर बुधवार तड़के देवी दर्शन की बात कही.
उधर बुधवार को तड़के 4 बजे महिला होटल से निकल कर कहीं चली गई. दोपहर लगभग ढाई बजे उसने ही अपने मोबाइल से होटल के रिशेप्शन में फोन कर कमरे में शव पड़े होने की सूचना दी. उसने बताया कि वह युवक उसका पति नहीं है. वह यहां एन्ज्वाय करने आई थी. अब वह काफी दूर आ चुकी है. तथा उसका पता लगा पाना मुश्किल है. इस लिये उसे तलाश करने की कोशिश न करें और बात करने के बाद वह सिम भी तोड़ देगी. पुलिस को सूचना करके कमरे से लाश निकलवा लो.
इस जानकारी से घबराए होटल वालों ने इसकी सूचना पुलिस को दी. आनन फानन में पुलिस सक्रिय हुई और दलबल समेत वहां पहुंच गई. एफएसएल अधिकारी जांच में लगे हैं. कमरे में सूटकेस, डायरी, स्टेथेस्कोप, सूटकेस पर हवाई यात्रा का स्टिकर चिपका हुआ है. डायरी में मृतक ने अपनी आत्मकथा लिखते हुए अपने ईसाई होने की बात कही है तथा ताबूत की व्यवस्था कर लावारिस की तरह लाश दफन करने की भी बात कही है. उसमें जीवन की पुरानी बातो का जिक्र भी किया है. उसने बताया है कि उसकी पत्नी बदचलन है. जिससे वह लगातार परेशान रहा. इसी से वह यहां माता के दर्शन करने आया था. उसे रास्ते में कालगर्ल मिल गई उसके साथ वह यहां आ गया.
लेकिन कुछ सवाल जो पुलिस के लिये परेशानी बन गए हैं
वह महिला कौन थी जो युवक के साथ आई थी.
क्या महिला ने ही मर्डर किया.
यदि महिला ने मर्डर किया तो डायरी में किसने लिखा.
मोबाइल का सिम कहां का था.
इस मामले का एक सनसनी खेज पहलू यह भी है कि लाश मिलने के बाद चेक आउट फार्म पर एण्ट्री दर्ज की गई है.
६ तारीख को रजिस्टर में मात्र २ कमरों की बुकिंग दर्ज है इस आधार पर सात कमरे खाली थे तो फिर युवक को गेस्ट हाउस में क्यो ठहराया.
2 comments:
बंधु, जहाँ तक मेरी जानकारी है, 'साहब सलाम' तो सतना में ठाकुर लोग किया करते हैं. इसका मूल वे कबीर से जोड़ते हैं और गर्व करते हैं कि वे धर्मंनिरपेक्ष अभिवादन का इस्तेमाल किया करते हैं. 'साहब' और 'सलाम' दोनों फारसी लिपि के शब्द हैं, देवनागरी या रोमन लिपि के नहीं. वैसे ब्लॉग का यह शीर्षक रखकर आपने अच्छा किया. दमदार लगता है.
मैहर वाली अपराध रपट भी आपने बेहतर शैली में लिखी है और किसी टीवी एंकर की तरह आख़िर में सवाल भी उठाये हैं. अब यह आपका दायित्व बनता है कि इसका फालो-अप करें, और मामला सुलझने तक इसके पीछे पड़े रहें.
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