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Thursday, August 4, 2011

नेताओं की साजिश में फंसा लिलजी बांध, प्रदेश में अपनी तरह के नये नियम का प्रस्ताव

लिलजी बांध जो कभी रीवा राज्य में जल संग्रहण व संरक्षण के लिये तैयार किया गया था लेकिन बाद में यह पता चलने पर कि यहां चूना पत्थर काफी मात्रा में है इसके लिये साजिश का दौर शुरु हो गया। तत्कालीन समय में कांग्रेस विधायक राजेन्द्र सिंह ने इसके लिये कोशिश की और इसे जल संसाधन से राजस्व भूमि में बदलने की प्रक्रिया प्रारंभ कराई। सरकार बदलने पर मंत्री राजेन्द्र शुक्ला व सांसद गणेश सिंह इसमें शामिल हो गये और इस बांध के लिये एक नायब तहसीलदार के अनुमोदन पर लीज स्वीकृत करा दी। जबकि नियमानुसार एसडीएम या तहसीलदार की अनुमति जरूरी होती है। लेकिन लिलजी पर एक सीमेंट फैक्ट्री की नजर होने के बाद इसमें अमरपाटन के विधायक रामखेलावन ने भी अपनी आपत्ति जता कर इस खेल में कूद गये और लाभार्थी ग्रुप में शामिल कर लिये गये। और अब यही लाभार्थी ग्रुप अपने समर्थक कब्जेदारों को यही जमीन दिलाने प्रदेश में अपने तरह का नया नियम बनाने के लिये प्रस्ताव प्रदेश सरकार को भिजवा दिया। इसके पीछे मंशा है कि बाद में इनसे फैक्ट्री के लिये जमीन ले ली जायेगी। यहां किसी एसबी सीमेंट फैक्ट्री की नजर लगी होने की बात कही जा रही है। 
लेकिन इस प्रस्ताव को स्वीकार करना सरकार के गले की हड्डी बन जायेगा क्योंकि तब पूरे प्रदेश से ऐसे मामले जमीन लेने के सामने आने लगेंगे तो मेधा पाटकर भी अपनी मांग पर दोबारा जुट सकती हैं। 
जल संसाधन को वापस देना उचित
इस मामले का सबसे बढ़िय़ा विकल्प इसे वापस जलसंसाधन विभाग को देकर इस बांध के गेट बंद कराकर जल संग्रहण की बड़ी संरचना का रूप दे दिया जाये। यह सरकार की जल संग्रहण की नीति का भी पक्षधर होगा। 

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