एक पखवाड़े के अन्दर रीवा संभाग में दूसरी बार सतना शहर में दर्जन भर नकाबपोशों ने चार मिशनरी कार्यकर्ताओं की लाठी डंडों से जमकर पिटाई की. दस मिनट तक हुई मारपीट के बाद वे घटनास्थल से भाग गए. घटना के कारणों का खुलासा नहीं हो सका है और न ही मिशनरी कार्यकर्ता भी कुछ बता रहे है. इसके पूर्व रीवा शहर में भी एक चर्च पर हमला कर कुछ मिशनरियों को घायल कर दिया गया था.
मिशनरी कार्यकर्ताओं पर हुए हमले का पुरजोर विरोध होने लगा है. हर पार्टी अपना अपना बयान देकर हमदर्द बनना चाह रही है. कुछ इसे भगवा दलों का हमला कह रहे हैं तो कुछ इसे सीधे तौर पर बजरंग दल का कृत्य बता रहे हैं. बहरहाल दोषी जो भी हो यह तो पुलिस जांच में सामने आएगा?
लेकिन एक तथ्य और है जो कइयों के जेहन में कौंध रहा है कि हमला क्यों हुआ. जहां तक कहा जाता है हर घटना के पीछे कुछ न कुछ कारण होता है लेकिन यहां कारण को छोड़ कर सबकुछ मौजूद है.
यदि हमलावर लुटेरे थे तो घटनास्थल की एक-एक चीज सलामत है. यदि हमलावर रौब जताना चाहते थे तो वे चुपचाप आए और मारपीट कर सीधे चले गए मौहल्ले से कोई मतलब नहीं था. मिशनरियों के अनुसार उनका कभी किसी से कोई विवाद नहीं हुआ जिसका वे बदला लेने आए थे .... फिर आखिर क्या था जो घटना का कारण बना.
क्या यहां न्युटन का तीसरा नियम गलत हो जाएगा कि हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है तो यह किस क्रिया की प्रतिक्रिया थी? यह न तो घायल बता रहे न कोई और, लेकिन घायलों की खामोशी में ही कई राज हैं जो कह रहे हैं कि न्युटन गलत नहीं हो सकता.
कहीं यह सेवाभाव की आड़ में धर्मपरिवर्तन का कोई विरोध तो नहीं था. क्योंकि यहां लगातार कई दिनों से ऐसे मामले सुनने को आ रहे हैं.
हालांकि घटना शर्मनाक थी लेकिन यदि यह धर्मान्तरण का प्रतिकार है तो प्रशासन को भी आंखे खोलनी होंगी. हमलावरों को सजा मिले ऐसे प्रयास तो हों साथ ही यह भी किया जाय कि सेवा की आड़ में कोई गरीब अपना धर्म न बदले.
मिशनरी कार्यकर्ताओं पर हुए हमले का पुरजोर विरोध होने लगा है. हर पार्टी अपना अपना बयान देकर हमदर्द बनना चाह रही है. कुछ इसे भगवा दलों का हमला कह रहे हैं तो कुछ इसे सीधे तौर पर बजरंग दल का कृत्य बता रहे हैं. बहरहाल दोषी जो भी हो यह तो पुलिस जांच में सामने आएगा?
लेकिन एक तथ्य और है जो कइयों के जेहन में कौंध रहा है कि हमला क्यों हुआ. जहां तक कहा जाता है हर घटना के पीछे कुछ न कुछ कारण होता है लेकिन यहां कारण को छोड़ कर सबकुछ मौजूद है.
यदि हमलावर लुटेरे थे तो घटनास्थल की एक-एक चीज सलामत है. यदि हमलावर रौब जताना चाहते थे तो वे चुपचाप आए और मारपीट कर सीधे चले गए मौहल्ले से कोई मतलब नहीं था. मिशनरियों के अनुसार उनका कभी किसी से कोई विवाद नहीं हुआ जिसका वे बदला लेने आए थे .... फिर आखिर क्या था जो घटना का कारण बना.
क्या यहां न्युटन का तीसरा नियम गलत हो जाएगा कि हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है तो यह किस क्रिया की प्रतिक्रिया थी? यह न तो घायल बता रहे न कोई और, लेकिन घायलों की खामोशी में ही कई राज हैं जो कह रहे हैं कि न्युटन गलत नहीं हो सकता.
कहीं यह सेवाभाव की आड़ में धर्मपरिवर्तन का कोई विरोध तो नहीं था. क्योंकि यहां लगातार कई दिनों से ऐसे मामले सुनने को आ रहे हैं.
हालांकि घटना शर्मनाक थी लेकिन यदि यह धर्मान्तरण का प्रतिकार है तो प्रशासन को भी आंखे खोलनी होंगी. हमलावरों को सजा मिले ऐसे प्रयास तो हों साथ ही यह भी किया जाय कि सेवा की आड़ में कोई गरीब अपना धर्म न बदले.
2 comments:
विगत दिनो में मिश्नरीयों की गतिविधीयाँ काफी बढ़ गई हिअ. ऐसे और मामले सामने आयेंगे.
आपका उठाया प्रश्न सही है। सेवाभावना की आड़ में धोखेबाजी से धर्मपरिवर्तन का षडयंत्र रचने की ही यह प्रतिक्रिया है।
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